चिल्फी घाटी में दिसंबर की रात गुजारी, दो बाघ हमारे करीब से गुजर गए
छत्तीसगढ़ में अखबार के पाठकों के लिए विनय शर्मा का नाम अनजाना नहीं है। वे लंबे समय तक देशबंधु से जुड़े रहे। इस दौरान उन्होंने कई यादगार तस्वीरें खींचीं। कई अविस्मरणीय रिपोर्टिंग में वे शामिल रहे। फोटोग्राफी के तकनीकी ज्ञान और एक प्रेस फोटोग्राफर के जीवन के अनुभवों का उनके पास खजाना है। मितभाषी और विनम्र विनय शर्मा ने उस दौर में अखबार के लिए फोटोग्राफी की है जब शाम को डार्करूम में पता चलता था कि फोटो सही आई है कि नहीं। तब आने जाने के साधन कम थे और सौ-दो सौ किलोमीटर तक तो रिपोर्टर और फाटोग्राफर बाइक से चले जाते थे। बाइक से गिरकर पसलियां टूट जाती थीं और उसी हालत में बाइक से गरियाबंद से रायपुर आ जाते थे। कभी शेर सामने दिख जाता था तो कभी भालू पीछे खड़ा मिलता था। कभी रात भर जंगल में विमान का मलबा तलाशते तो कभी नदी पहाड़ पार कर फंदे में फंसी बाघिन की फोटो खींचने पहुंच जाते। कभी जिंदा जलते हुए लोगों को देखकर मन विचलित हो जाता था तो कभी नदी में नहाते बच्चों की शरारतें मन मोह लेतीं। ऐसे अनुभवों को जानने के लिए महानदी न्यूज डॉट कॉम ने उनसे बात की। इसी की दूसरी किस्त-
उस अनजान आदमी ने सचेत नहीं किया होता
तो मैं ऊंचे पुल से नीचे गिर सकता था…
एक ऐसी घटना चांपा की है। वहां एक बड़ी रेल दुर्घटना हुई। ट्रेन के डिब्बे बेपटरी होकर पुल से नीचे गिर गए। बड़ी संख्या में लोग मारे भी गए और घायल भी हुए। खबर लगते ही मैं साथी फोटोजर्नलिस्ट नागेंद्र वर्मा जी के साथ बाइक से रवाना हो गया। वहां पहुंचकर हमने रात में भी तस्वीरें लीं और सुबह भी। पुल पर खड़े होकर जब मैं फोटो खींचने में मशगूल था तभी नीचे से किसी ने जोर से चिल्लाकर कहा कि आप पीछे हट जाइए। आगे पटरी पर स्लीपर नहीं हैं। बात मेरे कानों तक पहुंची और मैं पीछे हटा। बेखयाली में अगर मैं आगे बढ़ जाता तो कुछ भी हो सकता था क्योंकि जमीन से पुल की ऊंचाई काफी ज्यादा थी।
मैं पेट्रोल पंप की आग के करीब चला गया था
किसी ने मुझे पीछे खींचा और फिर ब्लास्ट हो गया
एक और घटना रायपुर की है। सिविल लाइंस के एक पेट्रोल पंप में आग लग गई। मैं पहुंचा और फोटो खींचने लगा। अच्छी फोटो लेने की कोशिश में मैं आग के काफी करीब चला गया। तभी पीछे से हमारे परिचित पुलिस अधिकारी जीएस बांबरा जी ने कंधों से पकड़कर मुझे पीछे खींचा और बोले- क्या कर रहे हो? यहां कभी भी ब्लास्ट हो सकता है। इसके बाद वहां बड़ा धमाका हुआ। बांबरा साहब के कारण मैं बाल बाल बचा।
डकैत का मुक्का कैमरे में कैद हो गया
रायपुर में एक बैंक डकैती हुई थी। उसके आरोपी पकड़े गए थे और उनकी कोर्ट में पेशी थी। उनकी तस्वीरें खींचने की गरज से मैं वहां मौजूद था। जब उन्हें कोर्ट में पेश करने के लिए ले जाया जा रहा था तब मैं फोटो लेते हुए उनके काफी करीब पहुंच गया। एक डकैत ने हाथ बढा़कर मुझे धकियाने और कैमरा छीनने की कोशिश की। भाग्य से वह कैमरा भी नहीं छीन पाया और उसका मुक्का मेरे कैमरे में कैद हो गया। देशबंधु में वह तस्वीर छपी और उसकी काफी चर्चा रही।
नंदनवन में भालू तलाश
एक बार एक दिलचस्प घटना हुई थी कि नंदनवन के बाड़े से भालू भाग गया था। खबर मिली तो हम नंदनवन पहुंच गए। कैमरा लेकर भालू को तलाश करने लगे। कुछ देर बाद किसी ने पूछा- क्या ढूंढ रहे हैं? हमने कहा- भालू को। उसने कहा-भालू तो तुम्हारे पीछे है। हमने देखा तो सचमुच पीछे भालू दो पैरों पर खड़ा था। गनीमत कि उसने हम पर हमला नहीं किया। बाद में नंदनवन के लोगों ने उसे काबू में किया।
जंगल में गुजारी रात
एक और यादगार किस्सा है कि हम एक खबर करने के लिए चिल्फी घाटी के रास्ते मध्यप्रदेश जा रहे थे। हालांकि तब छत्तीसगढ़ भी मध्यप्रदेश ही था। बहरहाल, चिल्फी घाटी के इलाके में हमारी बाइक पंक्चर हो गई। मेरे साथ मेरे साथी रिपोर्टर सुदीप ठाकुर थे। दोनों बाइक को घसीटते हुए पांच-छह किलोमीटर चले। एक मंदिर नजर आया। वहां के पुजारी ने बताया कि सुबह बसें चलती हैं। आप उनसे जहां जाना हो, जा सकते हैं। चिल्फी घाटी की ठंड मशहूर है। और हम वहां दिसंबर-जनवरी के महीने में गए थे। कड़कड़ाती ठंड में हमें खुले आसमान के नीचे रात गुजारनी थी। हमने लकडि़यां जमा करके जलाईं ताकि ठंड से कुछ तो बचाव हो। आग के पास लेटकर हम सोने का प्रयास करने लगे। फिर दहाड़ने की आवाज से हमारी आंखें खुलीं। सामने जो देखा तो हमारे होश उड़ गए। दो बाघ हमारे सामने ही कुछ दूरी पर बैठे हुए थे। ईश्वर की कृपा थी कि बगैर हमें कोई नुकसान पहुंचाए वे वहां से चले गए। हम लोगों ने जैसे तैसे रात काटी सुबह बस की मदद से बाइक भी सुधरवाई, मध्यप्रदेश भी गए।