वरिष्ठ प्रेस फोटोग्राफर विनय शर्मा से महानदी न्यूज डॉट कॉम की लंबी बातचीत-३
थिनर में आग लगी और मेरी आंखों के सामने कई लोग जिंदा जल गए
रायपुर के चंगोराभाठा से एक बार हमें खबर मिली कि वहां थिनर से भरा एक टैंकर पलट गया है। मेरी आदत है कि मैं ऐसे मौकों पर जल्दी से जल्दी पहुंचने की कोशिश करता हूं। सो मैं तत्काल घटनास्थल पर पहुंचा। थिनर टैंकर से निकलकर सड़क पर बह रहा था और आसपास के लोग उसे मिट्टी का तेल समझ कर बाल्टियों और दूसरे बर्तनों में भरकर ले जा रहे थे। मैं तस्वीरें लेने लगा। पंद्रह बीस मिनट बाद अचानक थिनर में आग लग गई और देखते ही देखते पूरा टैंकर धू धू करके जलने लगा। थिनर को बर्तनों में भर रहे कई लोग आग की चपेट में आकर वहीं चल बसे। मेरे साथी फोटोजर्नलिस्ट ने याद दिलाया है कि हादसे में तेरह लोग मारे गये थे. वो मंजर भूलता नहीं क्योंकि मेरे सामने की घटना थी। ऐसी कई घटनाएं होती हैं जो मन को विचलित करती हैं लेकिन तस्वीरें लेते समय सब देखना पड़ता है। एक बार दीवाली के आसपास बूढ़ातालाब के पास पटाखा बाजार में बड़ी आग लगी थी. मौदहापारा में भी बड़ा अग्निकांड हुआ था.
बस धू-धू करके जल रही थी और भीतर कुछ
लोग बचाने के लिए हाथ हिला रहे थे…
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एक बार हमें सूचना मिली कि सिमगा के पास एक बस में आग लग गई है और काफी लोग मारे गए हैं। कितने लोग मारे गए हैं यह पता नहीं चला। सूचना मिलते ही हम लोग बाइक से निकल पड़े। फायरब्रिगेड की गाड़ी से पहले हम वहां पहुंच चुके थे। हमने देखा कि पूरी बस धू-धू करके जल रही है। बस दरवाजे की तरफ पलटी थी इसलिए दरवाजे बंद हो गए थे। किसी को बाहर निकलने का रास्ता नहीं मिल पाया। तस्वीरें लेते लेते मैं बस के करीब गया तो देखा कि अंदर कुछ लोग जीवित थे और हाथों से इशारे कर रहे थे कि हमें बचा लिया जाए। आधे घंटे बाद सब कुछ शांत हो गया। मैं यह सब देखकर काफी विचलित हो गया था। घटनास्थल पर जो गंध थी, वह भी मैं बर्दाश्त नहीं कर पाया था। दूसरे दिन मौदहापारा में सबका अंतिम संस्कार किया गया। पता चला कि रायपुर के बैरनबाजार का परिवार था जो शादी के सिलसिले में जा रहा था। यह एक बहुत बड़ा हादसा था जिसे मैं कभी भूल नहीं सकता।
रात भर जंगल में जहाज का मलबा ढूंढते रहे
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एक और घटना है कि डोंगरगढ़ के आसपास किसी जहाज के गिरने की सूचना मिली। कई सूचनाएं अपुष्ट होती हैं लेकिन हकीकत जानने के लिए पड़ताल जरूरी होती है। उन दिनों ज्यादा साधन नहीं होते थे। सो हम लोग अखबार ले जाने वाली टैक्सी से राजनांदगांव पहुंचे और फिर साल्हेकसा और दर्रेकसा के बीच उतरे। लोग घटना के बारे बारे में अलग अलग अनुमान बताते थे। हम रात भर कोशिश करते रहे कि हमें सही जानकारी मिल जाए। सुबह थाने से सूचना मिली कि जहाज दर्रेकसा के आसपास गिरा है। हम तीन पहाड़ पार करके पैदल घटनास्थल पर पहुंचे जहां जहाज पेड़ों के बीच फंसा हुआ था। यह नजारा बहुत दुखदायी था। जहाज में सवार लोगों में से कोई नहीं बच पाया था। बीएसपी का यह जहाज दिल्ली से आ रहा था और पांच-छह मिनट के बाद नंदिनी एयरपोर्ट पर उतरने वाला था। हादसे में जहाज जल गया था। रेस्क्यू टीम पहुंची थी और लोगों के शव ले जाए जा रहे थे।