कालाहांडी की रिपोर्टिंग के लिए हम उड़ीसा के गांवों में साइकिल से घूमे
फोटोजर्नलिस्ट के रूप में अपने लंबे जीवन में मुझे बहुत से काबिल लोगों के साथ काम करने का मौका मिला। सुनीलकुमार जी के साथ मैंने काफी लंबे समय तक काम किया। सबसे बड़ी बात थी कि मैंने उनके अनुभव का लाभ लिया। उन्होंने ही मुझे फोटोग्राफी और पत्रकारिता के बारे में काफी कुछ सिखाया। इंडिया टुडे वाले एनके सिंह जी के साथ मैंने काफी दौरे किए। नीरद मिश्रा जी के साथ भी काफी दौरे किए। देशबंधु, दैनिक भास्कर, नई दुनिया में काम करते हुए बरिष्ठ पत्रकारों के साथ काफी दौरे किए। सुदीप ठाकुर जी हमारे काफी अच्छे मित्र हैं। उनके साथ काफी दौरे किए मैंने। एक स्टोरी मैं कभी भूलता नहीं जिसके लिए उड़ीसा के गांवों में हम छह सात दिन तक घूमते रहे। कालाहांडी में अकाल की खबर बनाने के लिए मैं वहां सुदीप ठाकुर जी के साथ गया था। बड़ा रोमांचक दौरा था। जो साधन मिलता हम उससे दौरे करते। ट्रक की भी सवारी की और साइकिल से भी आए-गए। इस तरह वह खबर कवर करके आए। वरिष्ठ पत्रकार राजनारायण मिश्र जी के साथ मैं कुल्हाड़ीघाट और दुगली गया था। यह भी चार पांच दिन का दौरा था। उनके साथ जाना ही मेरे लिए गौरव का विषय था। बहुत कुछ सीखने मिला उनसे। दुगली और कुल्हाड़ीघाट वो गांव हैं जिनमें राजीव गांधी का दौरा हुआ था। वहां कमार जाति के लोग रहते हैं। वीरेंद्र शुक्ला जी के साथ कई बार जाना हुआ। बस्तर भी गए। लेखन में मेरी थोड़ी भी रुचि अगर है तो वह मां के कारण है.घर में पढ़ाई का ही माहौल तो था ही मां भी बहुत कुछ लिखती रहती थीं . सामयिक विषयों पर उनके लेख समय समय पत्रिकाओं में छपते रहे . धर्मयुग, दिनमान, कादंबनी जैसी बहुत सी पत्रिकाएं हमारे घर पर आती थीं जिन्हें पढ़ा करते थे.
एक बार मैं एक क्रिकेट मैच देखने के लिए शौकिया तौर पर नागपुर गया था। मैं कैमरा हमेशा अपने पास रखता था। दिलीप कुमार और सायराबानो भी मैच देखने आए थे। उनकी तस्वीरें लेने के बाद मैं स्टेडियम के दूसरे हिस्से में चला गया। ऊपर से मैंने देखा कि फायर ब्रिगेड और एंबुलेंस की बहुत सी गाडि़यां दौड़ रही हैं। इधर स्टेडियम में बिलकुल हलचल नहीं थी। किसी को पता नहीं था कि उधर कितनी बड़ी घटना हो गई है। स्टेडियम का एक पिलर गिर गया था और कुछ लोग उसमें दब गए थे। मैं स्टेडियम के ऊपरी हिस्से से यह सब देख रहा था। वहीं से मैंने बहुत सारी तस्वीरें लीं। मैंने मैच को छोड़कर इस घटना को कवर किया। नागपुर काफी दूर था इसलिए मैं तत्काल तस्वीरें भिजवा नहीं पाया। रायपुर लौटकर संपादकजी को मैंने घटना के बारे में बताया। उस घटना की खबर तस्वीरों के साथ मेरे नाम से छपी। देशबंधु में लिखने के लिए बहुत प्रोत्साहित किया जाता था। अगर आपने कोई घटना देखी है तो आप उसके बारे में लिख सकते थे। वहां कहा जाता था कि कैप्शन लिखने से शुरुआत कीजिए। धीरे धीरे समाचार भी बनाने लगते थे।
मैं कैमरा हमेशा साथ लेकर इधर उधर घूमता रहता था कि कहीं कुछ अच्छी तस्वीर मिल जाए। एक रोज ऐसे ही नंदनवन की तरफ निकल गया। वहां किसी ने बताया कि खारुन नदी में बड़ी संख्या में मछलियां मर रही हैं। मैं तस्वीरें लेने के लिए नदी किनारे गया। पता चला कि सिर्फ वहीं नहीं बल्कि काफी दूर तक मछलियां इसी तरह मर रही हैं। नंदनवन के आठ नौ किलोमीटर आगे तक यही हाल था। पूरा मंजर देखकर मैंने लोगों से बात की। पता चला कि किसी नाले का प्रदूषित पानी नदी में छोड़ा जा रहा था। उसी के कारण मछलियां मर रही थीं। यह खबर पहले पन्ने पर छपी। तरुण चटर्जी ने विधानसभा में भी यह मामला उठाया था और कार्रवाई की मांग की थी।
एक बार शहीद वीरनारायण सिंह की जयंती पर बाइक से उनके गांव सोनाखान पहुंचा। यह देखने के लिए कि वहां विकास का क्या हाल है। यह जगह रायपुर के काफी दूर करीब सौ किलोमीटर रही होगी। मेन रोड से तीस किलोमीटर अंदर जाना था। रास्ता पहाड़ों और घाटियों से होकर गुजरता था। वहां पहुंचकर मैंने देखा कि नल खराब था। अस्पताल कई दिनों से बंद था। सड़क का काम कई सालों से नहीं हुआ था। शहीद की प्रतिमा जर्जर स्थिति में थी। मैंने लोगों से बात की। और पूरी जानकारी लेकर लौटा। लौटकर संपादकजी को तस्वीरें और खबर दिखाई। यह खबर भी तस्वीरों के साथ फ्रंट पेज पर छपी। यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी।