रायपुर प्रेस क्लब में आज विविध भारती के सुप्रसिद्ध उद्घोषक कमल शर्मा का आगमन हुआ। उन्हें सुनने प्रेस क्लब सदस्यों के अलावा उनके मित्र व प्रशंसक भी पहुंचे। कमल शर्मा ने विविध भारती में काम के दौरान मिले अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने उपस्थित लोगों के सवालों के जवाब भी दिए।
प्रेस क्लब पदाधिकारियों ने शॉल व पुस्तकों से उनका स्वागत किया। इस बार से यह परंपरा शुरू हुई है कि अतिथियों का स्वागत बुके नहीं, बुक से किया जाए।
प्रेस क्लब महासचिव वैभव बेमेतरिहा ने बताया कि जब वे छोटे थे तब पड़ोस की टेलरिंग दुकान में एक रेडियो चलता था। इस पर विविध भारती सुनते थे। आज हमारा सौभाग्य है कि विविध भारती का महत्वपूर्ण हिस्सा रहे कमल शर्मा हमारे बीच हैं।
कमल शर्मा के साथ काम कर चुकी ज्योति सिंह ने कहा कि कमल सर तब एक सेलिब्रिटी हुआ करते थे। तब आकाशवाणी में बोरे भरकर चिट्ठियां आती थीं जिनमें से ज्यादातर कमल सर के लिए होती थीं। लोग आकाशवाणी के गेट के बाहर उनकी झलक पाने के लिए खड़े रहते थे। सर ने हमें ज्यादा, सब्जी, बाजार जैसे शब्दों का सही उच्चारण सिखाया। हमने उनसे स्कि्रप्ट लिखना सीखा। कई तरह से हंसना सीखा।
राजीव चक्रवर्ती ने उन दिनों को याद किया जब वे कमल शर्मा के पड़ोसी हुआ करते थे। गणेशोत्सव में जब पंडाल खाली खाली दिखता था तो कमल भैया रंग और ब्रश लाकर चित्र बना देते थे। चारों भाई बहनों पर मां सरस्वती की कृपा थी। डिस्कवरी चैनल के वृत्तचित्रों में भैया की आवाजा होती थी। हम उसका री टेलीकास्ट भी सुनते थे। रायपुर शहर को गर्व है कि उसने हबीब तनवीर भी दिया और कमल शर्मा भी।
रूपेश यादव ने कहा कि उन्हें कमल सर से ट्रेनिंग लेने का अवसर मिला। कभी किसी के साथ सेल्फी न लेने वाली उनकी पत्नी ने कमल सर के साथ सेल्फी ली। कमल सर ने एक बार नंदनवन की शेरनी का इंटरव्यू कर डाला था। बहुत अच्छा कार्यक्रम बनाया था।
आयुषि शर्मा ने कहा कि मां कमल सर की फैन हैं। मुझे सर से ट्रेनिंग लेने का मौका मिला। हमने उनसे शब्दों का सही उच्चारण करना सीखा। आवाज का उतार चढ़ाव सीखा।
वरिष्ठ पत्रकार कौशल किशोर मिश्र ने कहा कि कमल शर्मा साइंस कालेज में उनके सहपाठी रहे। मुझे लगता है कि मैं भी उनसे सीखूं। उन्होंने कहा कि नौतपे में यह आयोजन करना प्रेस क्लब का दुस्साहस है। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि व्यावसायिक कार्यक्रमों में जुटने वाली पत्रकारों की भीड़ यहां नदारद है।
इसके बाद कमल शर्मा ने देर तक संस्मरण सुनाए। कार्यक्रम का संचालन तृप्ति सोनी ने किया।
कमल शर्मा: एक परिचय
कमल शर्मा आकाशवाणी और उसकी लोकप्रिय मनोरंजन सेवा विविध भारती के बेहद लोकप्रिय और प्रसिद्द उदघोषक के रूप में जाने जाते हैं। अपनी दमदार आवाज़ और अपनी अनूठी शैली में प्रस्तुत किए गए अनगिनत रेडियो कार्यक्रमों के लिए उनकी गिनती सर्वश्रेष्ठ प्रसारकों में होती है। उनके चाहने वाले भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी खूब हैं।
मूल रूप से छत्तीसगढ के रहने वाले कमल शर्मा ने 1983 में आकाशवाणी रायपुर से अपनी सेवा की शुरुआत की थी और आकाशवाणी रायपुर के युववाणी विभाग में काम करते हुए अनेक लोकप्रिय कार्यक्रमों का लेखन और निर्माण किया। उनके कार्यकाल में युववाणी कार्यक्रम अपनी विविधता और प्रस्तुति के कारण लोकप्रियता के शिखर पर रहा। 1992 में वे स्थानांतरण पर विविध भारती सेवा, मुंबई चले गए।
विविध भारती भारती पर प्रसारित होने कार्यक्रम ‘उजाले उनकी यादों के’ अंतर्गत कमल शर्मा द्वारा हिंदी सिनेमा की नामचीन हस्तियों से ली गयी भेंट-वार्ताएं भी रेडियो के बेहतरीन कार्यक्रमों में शामिल हैं। उनके द्वारा प्रस्तुत भारत के पहले इंटरेक्टिव फ़ोन -इन- प्रोग्राम ‘हेलो फ़रमाइमश’ ने आकाशवाणी के प्रसारण में लोकप्रियता का इतिहास रचा है और ये कार्यक्रम भारतीय उपमहाद्वीप में तो बहुत लोकप्रिय हुआ ही, भारत के बहार भी शॉर्ट वेव पर पूरे मनोयोग से सुना जाता था। इस कार्यक्रम को उन्होंने ही डिज़ाइन किया था।
कमल शर्मा जी एक बेहतरीन रेडियो अभिनेता के रूप में भी जाने जाते हैं। वे अब तक अनेक वृत्त चित्रों और ऑडियो बुक्स के लिए अपनी आवाज दे चुके हैं।