छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन ने आरोप लगाया है कि बस्तर में नक्सल उन्मूलन के नाम पर निर्दोष लोगों को मारा जा रहा है। संगठन ने ऐसी घटनाओं की न्यायिक जांच की मांग की है।
रायपुर प्रेस क्लब में हुई संगठन की पत्रवार्ता में सीपीआई के पूर्व विधायक मनीष कुंजाम, सामाजिक कार्यकर्ता व अधिवक्ता बेला भाटिया, मूलवासी बचाओ मंच के रघु पोडियाम, अधिवक्ता शालिनी गेरा, अधिवक्ता प्रियंका शुक्ला ने कहा कि फर्जी मुठभेड़ें पहले भी होती थीं। लेकिन इनकी आवृत्ति खतरनाक रूप से बढ़ गई है। कई वारदातों में तो सरकार ने भी माना है कि निर्दोष लोग मारे गए हैं पर वहां सरकार ने क्रॉस फायरिंग का बहाना बनाया और मौतों के लिए माओवादियों को जिम्मेदार ठहराया जबकि गांव वालों का कहना है कि मुठभेड़ ही नहीं हुई थी, सुरक्षा बलों ने एकतरफा फायरिंग की थी।
संगठन के मुताबिक- हाल ही में पुलिस ने दावा किया कि बीजापुर के पीडि़या और इतवार गांव में मुठभेड़ में 12 माओवादी मारे गए। सच तो यह है कि 12 में से दस आदिवासी ग्रामीण इसी गांव के थे और दो अन्य इस गांव में मेहमान की तरह आए हुए थे। इन सभी को तेंदूपत्ता इकट्ठा करते समय दौड़ा दौड़ा कर गोली मारी गई। इस घटना में इन दोनों गांवों के छह ग्रामीण गोली लगने से घायल हुए हैं जिनका इलाज चल रहा है। इसके अलावा 50 से अधिक ग्रामीणों को पुलिस अपने साथ ले गई जिनमें से अधिकांश को रिहा कर दिया गया है और कुछ को जेल भेज दिया गया है। इस घटना के तुरंत बाद ग्रामीणों व पत्रकारों की तरफ से सवाल उठाए गए लेकिन सरकार की तरफ से सुरक्षा बलों को बधाई देने के अलावा कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। यहां तक कि गंगलूर के थाना प्रभारी और जिला पुलिस अधीक्षक ने मृतकों और घायलों के परिवारों की शिकायत लेने से इनकार कर दिया।
संगठन ने कहा कि किसी भी निहत्थे व्यक्ति को मारना गलत है चाहे वह कितना ही बड़ा माओवादी हो। सुरक्षा बल केवल आत्म सुरक्षा में ही गोली चला सकते हैं पर आए दिन जो वारदातें हो रही हैं उनमें देखने में आ रहा है कि माओवादी होने के संदेह में ही निहत्थे लोगों की हत्या की जा रही है जो गैरकानूनी है।
संगठन के मुताबिक यह भी चिंता की बात है कि इतनी सारी फर्जी मुठभेड़ों की शिकायतों के बाद भी शासन प्रशासन से कोई जवाब नहीं मिलता। बस्तर में एक भयावह वातावरण उत्पन्न हो गया है। गांव के लोग डर में जी रहे हैं। 2012 में सारकेगुड़ा और 2013 में एडसमेटा की घटना में न्यायिक कमीशन ने माना कि सुरक्षाबलों ने एकतरफा फायरिंग की थी, वहां भी अब तक सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है।
संगठन ने कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री माओवादियों से चर्चा की बात कर रहे हैं. पर दूसरी तरफ इन सबको अनदेखा कर अपने ही नागरिकों के मरने पर सुरक्षा बलों की सराहना करते हैं। इस वातावरण में किसी बातचीत की संभावना नहीं है। यदि बस्तर में शांति और खुशहाली लानी है तो विश्वास और शांति का माहौल बनाना जरूरी है। जहां सरकार आम नागरिकों की बात सुने और उन्हें अपने विश्वास में ले। किसी एक निर्दोष व्यक्ति का मारा जाना भी बहुत बड़ी घटना होती है। हमारी सरकार से मांग है कि वह सुनिश्चित करे कि सुरक्षा बलों के हाथों कोई निर्दोष व्यक्ति न मारा जाए।
संगठन ने कहा कि फर्जी मुठभेड़ों और निर्दोषों की हत्याओं के विरोध में एक दिवसीय बंद का आयेजन किया गया है।
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December 12, 2024