पिथौरा। बसदेवा समेत सभी लोकगीतों को बचाने की जरूरत है। इन्हें लिपिबद्ध किया जाना चाहिए। इन्हें सुरक्षित रखने के लिए टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाना चाहिए। यह बात यहां साहित्यकार स्वराज करुण ने कही। वेदमाता गायत्री मंदिर परिसर पिथौरा के सभागृह में आयोजित विचार गोष्ठी में उन्होंने बताया कि कुछ लोगों ने बसदेवा गीतों को यू ट्यूब पर डाल रखा है। उनका प्रयास सराहनीय है। प्राचीन विरासतों के संरक्षण के लिए प्रयासरत भारतीय सांस्कृतिक निधि (इंटैक) के महासमुंद अध्याय ने श्रृंखला साहित्य मंच, पिथौरा के सहयोग से विश्व संगीत दिवस के अवसर पर यह आयोजन किया। सांकरा (जोंक) निवासी रामायणी, संगीतकार व गायक जवाहरलाल नायक ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार शिवशंकर पटनायक ने वासुदेव गीतों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। विशेष अतिथि भोपाल से आए लेखक विक्रमादित्य सिंह ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। विशेष अतिथि मां गायत्री शक्तिपीठ पिथौरा के प्रमुख ट्रस्टी तुकाराम पटेल थे। कार्यक्रम में इंटैक महासमुंद अध्याय के संयोजक दाऊलाल चन्द्राकर, सह-संयोजक बंधु राजेश्वर खरे और पिथौरा के अनंत सिंह वर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। संचालन बागबाहरा के रूपेश तिवारी और पिथौरा के उमेश दीक्षित ने किया।
कार्यक्रम में पिथौरा के वासुदेवपारा निवासी जगदीश वासुदेव और खोरबाहरा प्रसाद वासुदेव ने बसदेवा गीत सुनाए। जगदीश वासुदेव ने बताया कि यहां उनके समुदाय का इतिहास तीन सौ साल पुराना है। बसदेवा गीत समाज में पीढ़ी-दर-पीढ़ी चले आ रहे हैं। उन्होंने बसदेवा गीत में श्रीकृष्ण, राजा दशरथ और श्रवण कुमार की कथाओं की प्रस्तुति दी। इस अवसर पर अशोक शर्मा, मानक नामदेव, यशवंत चौधरी, प्रवीण प्रवाह, संतोष गुप्ता, शशि कुमार डड़सेना, एफए नंद, मन्नू ठाकुर, नरेश नायक, माधव तिवारी, गुरप्रीत कौर, जितेश्वरी साहू, सरोज साव आदि उपस्थित थे।
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December 12, 2024