रायपुर। वृंदावन हॉल में आयोजित एक समारोह में साहित्यकार रामेश्वर शर्मा की कृति छत्तीसगढ़ी काव्य: एक विहंगम दृष्टि का विमोचन हुआ। मुख्य अतिथि गीतकार, व्यंग्यकार रामेश्वर वैष्णव थे। अध्यक्षता भाषाविद व साहित्यकार चित्तरंजन कर ने की। विशिष्ट अतिथि साहित्यकार अरुण निगम व बलदाऊराम साहू थे। मुख्य वक्ता इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के डा. राजन यादव थे। इस किताब को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में शामिल किया गया है। गोल्डन बुक की ओर से समारोह में इसका प्रमाणपत्र दिया गया।
कृतिकार रामेश्वर शर्मा ने इस पुस्तक को तैयार करने का पूरा वृत्तांत सुनाया कि कैसे उन्होंने छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण रचनाकारों की रचनाएं एकत्र कीं। किन लोगों ने किस तरह उनके इस काम में मदद की। आर्थिक समस्याओं के समाधान में किनसे मदद मिली। उन्होंने ऐसे सभी सहयोगियों को याद किया और कार्यक्रम में ऐसे सहयोगियों का सम्मान भी किया गया। शर्मा ने कहा कि पुस्तक में नाम मेरा है लेकिन पुस्तक आप सबकी है।
मुख्य अतिथि रामेश्वर वैष्णव ने छत्तीसगढ़ी साहित्य को मंचों के जरिए छत्तीसगढ़ में स्थापित करने की जद्दोजहद के बारे में बताया । उन्होंने बताया कि एक समय था कि छत्तीसगढ़ी रचनाकार को माइक पर आमंत्रित किया जाता था तो लोग कहते थे हिंदी की रचना पढ़ें। ऐसे माहौल में साहस करते हुए अनेक लोगों ने छत्तीसगढ़ी रचनाएं सुनाना जारी रखा। मंचों के लायक गीत लिखे गए, उनकी धुनें तैयार की गईं। फिर ऐसा भी समय आया कि एक कवि सम्मेलन में उत्तरप्रदेश के एक कवि से श्रोताओं ने कहा कि छत्तीसगढ़ी में रचना सुनाएं। वैष्णव ने कहा कि छत्तीसगढ़ी काव्य का तो मूल्यांकन हुआ है लेकिन छत्तीसगढ़ी गद्य का मूल्यांकन शेष है। उन्होंने इस बात पर भी दुख जताया कि छत्तीसगढ़ी साहित्य को दो तीन नामों के अलावा निष्पक्ष समीक्षक नहीं मिले। समीक्षक या तो क्षेत्रीयता से प्रभावित रहे या विचारधारा विशेष से।
कार्यक्रम का संचालन शशांक खरे ने किया।
Related Stories
December 12, 2024