सुप्रसिद्ध प्रेस फोटोग्राफर और लेखक गोकुल सोनी से महानदी न्यूज डॉट कॉम की लंबी बातचीत (4)
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जो लोग छत्तीसगढ़ में रहते हैं और नियमित अखबार पढ़ते हैं उनके लिए गोकुल सोनी का नाम अनजाना नहीं है। करीब चार दशक तक नवभारत के पन्नों पर उनकी खींची तस्वीरें छपती रही हैं। वे न सिर्फ बहुत अच्छे फोटोग्राफर हैं बल्कि बहुत अच्छे लेखक भी हैं। छत्तीसगढ़ी संस्कृति से जुड़े विषय हों या फिर राज्य के दिग्गज नेताओं से संबंधित प्रसंग, गोकुल सोनी के पास ज्ञान और अनुभव का खजाना है। उन्हें छत्तीसगढ़ का चलता फिरता इनसाइक्लोपीडिया कहा जा सकता है। महानदी न्यूज डॉट कॉम ने उनसे उनकी इस लंबी यात्रा के अनुभव जानने के लिए बात की। प्रस्तुत है इस बातचीत की चौथी किस्त।
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0 आपकी तस्वीरों ने कभी कुछ लोगों का भला किया? आपकी रिपोर्टिंग के कारण किसी को मदद मिली ?
00 प्रेस में फोटो छपने के बाद जो गलत करता है उस पर कार्रवाई होती है। वहीं जिस पर अन्याय हुआ होता है उसे न्याय मिलता है। कभी कभी अनजाने में हम प्रेसफोटोग्राफर कुछ अच्छा काम कर जाते हैं। एक घटना मुझे याद है। गर्मी के दिनों में रेल्वे स्टेशन में यात्रियों की भीड़ बढ़ जाती है। यह दिखाने के लिये मैंने एक बार रायपुर रेल्वे स्टेशन में भीड़ की एक फोटो खींच कर अपने अखबार में छापी। दूसरे दिन एक व्यक्ति अखबार में छपी उस फोटो की कटिंग लेकर मेरे पास आया और पूछने लगा कि फोटो मैंने कब और कहां खींची है। मैंने सब कुछ उसे बता दिया। फिर उस व्यक्ति ने बताया कि उनका एक पारिवारिक सदस्य काफी दिनों से घर से लापता है जो इस फोटो में दिख रहा है। काफी खोजबीन के बाद वह गुम इंसान उनके परिवार वालों को बागबाहरा के आस पास किसी रेल्वे स्टेशन में ही मिल गया। परिवार वाले मेरे पास आये और मेरा आभार मानने लगा। जबकि फोटो मैंने ऐसे ही अनजाने में खींच लिया था।
दूसरी घटना संतोषी नगर की है। एक आदमी का कच्चा मकान बारिश में गिर गया था। उस समय मैं टिकरापारा में ही रहता था। वह आदमी मेरे घर आया और मुझसे अपने गिरे हुये मकान की फोटो खिंचवा कर एक आवेदन के साथ उस फोटो को लगाकर नगर निगम कमिशनर के पास चला गया। वहां अपने मकान का मुआवजा या क्षतिपूर्ति मांगने लगा। उस समय मैं अपनी खींची हुइ फोटो के पीछे अपने नाम का एक सील लगाया करता था। कमिश्नर साहब ने फोटो पर मेरा नाम देखकर यह विश्वास कर लिया कि यह फोटो वास्तविक है। आवेदन करने वाला कोई फ्राड नहीं कर रहा है। कमिश्नर साहब ने नियमानुसार उसे सहायता प्रदान कर दी। उस व्यक्ति ने यह सारी घटना मुझे आकर बताई। उसने यह भी बताया कि पहले कमिशनर साहब स्थल निरीक्षण करवाने की बात कह रहे थे लेकिन आपकी फोटो देखकर उन्होंने सहायता स्वीकृत कर दी।
0 आपने राजनीति और अन्य क्षेत्रों के दिग्गजों की तस्वीरें ली हैं। उनकी क्या प्रतिक्रिया होती थी तस्वीरों को लेकर?
00 मैंने अपने 40 वर्षों से भी अधिक समय के प्रेस फोटोग्राफी जीवन में इंदिरा गांधी जी से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी तक सभी की तस्वीर ली है। स्थानीय सभी बड़े नेता और मंत्रियों से मेरा व्यक्तिगत परिचय रहा है। सबसे ज्यादा तरूण दादा के साथ मुझे करीब रहने का मौका मिला है। वे मेरा बहुत सम्मान करते थे। जब भी वे कोई धरना-प्रदर्शन करते तो मेरे बिना उनका वह आयोजन अधूरा रहता था। जब बाद में वे मंत्री बने तो कहीं कोई उद्घाटन के अवसर पर यह पहले देख लेते थे कि गोकुल आया कि नहीं। उस समय लोग कहते थे कि बिना गोकुल सोनी के दादा का कोई काम पूरा नहीं होता था। आज मैं कह सकता हूं प्रदेश का ऐसा कोई भी राजनीतक व्यक्ति नहीं है जो मुझे नहीं जानता हो। मेरे दुख सुख में वे सभी मेरे घर आते हैँ या फोन पर मुझसे बात करते हैं। श्यामाचारण जी, अर्जुनसिंह जी, सुंदरलाल पटवा जी, दिग्विजय सिंह जी, अजीत जोगी जी, डॉ.रमनसिंह जी, भूपेश बघेल जी सभी मुख्यमंत्रियों की मैंने कभी न कभी कोई अच्छी फोटो जरूर ली है जो उनके कलेक्शन में अभी भी सुरक्षित होगी। वर्तमान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय जी जब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष थे तब भी उनकी अच्छी अच्छी तस्वीरें ली हैं जो अभी भी मेरे पास हैं। अब मुख्यमंत्री के रूप में उनकी अच्छी से अच्छी फोटो लेने का प्रयास करूंगा।
0 एक प्रेस फोटोग्राफर होने के लिए क्या क्या गुण होने चाहिए?
00 एक अच्छा प्रेस फोटोग्राफर होने के लिये फोटोग्राफी का ज्ञान होना तो जरूरी है ही, धर्यवान भी होना चाहिये। हमारे पेशे में सम्मान भी मिलता है तो कभी कभी अपमान भी सहना पड़ता है। हमें सभी परिस्थितियों के लिये तैयार रहना चाहिये। इस पेशे में लोग प्रलोभन बहुत देते हैं हमें ऐसे प्रलोभन से दूर रहना चाहिये। प्रेस फोटोग्राफर का कार्य पुलिस की तरह चौबीस घंटे का होता है इसलिये हमें अपने आप को किसी ड्यूटी समय में बांध कर नहीं रखना चाहिये।
0 भविष्य की कुछ योजनाएं?
00 भविष्य की बहुत सारी योजनायें थी लेकिन मेरी पत्नी अभी कुछ माह पहले स्वर्ग सिधार गयी इसलिये अभी मन कुछ ठीक नहीं है। भविष्य में इस बारे में जरूर सोचूंगा। मित्र कह रहे हैं कि मैं अपने 40-50 वर्षों की फोटोग्राफी पर कोई किताब लिखूं। कोई कहते हैँ मेरे संकलन की फोटो की कोई प्रदर्शनी लगाऊं। शुभचिंतकों और मित्रों की सलाह पर जरूर कुछ अच्छा करूंगा ऐसी उम्मीद है।