मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल आज उस पुण्य धरती पर पहुँचे जहाँ से पहली बार वनवास के दौरान भगवान श्रीराम ने माता सीता के साथ छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया था। श्री बघेल ने मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के सीतामढ़ी हरचौका में श्रीराम से जुड़े स्थलों में दर्शन किये और 7 करोड़ 45 लाख रुपए की लागत से निर्मित राम वनगमन पर्यटन परिपथ के कार्यों का लोकार्पण किया।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर जनकपुर में सौ बिस्तर अस्पताल बनाने की घोषणा भी की। साथ ही उन्होंने केलहरी से हरचौका तक सड़क चौड़ीकरण की घोषणा भी की। इस मौके पर उन्होंने मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिले को 359 करोड़ 83 लाख रुपए के 325 विकास कार्यों का लोकार्पण-भूमिपूजन कर सौगात दी। इनमें 156 करोड़ 47 लाख रुपए की लागत के 160 कार्यों का लोकार्पण और 203 करोड़ 36 लाख रुपए के 165 कार्यों का भूमिपूजन भी शामिल है।
छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की सीमा पर मवई नदी के किनारे सीतामढ़ी-हरचौका में राम वन गमन पर्यटन परिपथ के अंतर्गत 07 करोड़ 45 लाख रूपए की लागत से राम वाटिका एवं अधोसंरचना विकास के कार्य कराए गए हैं। मुख्यमंत्री ने यहां भगवान श्रीराम की विशाल प्रतिमा, रामायण व्याख्या केन्द्र, कैफेटेरिया, सियाराम कुटीर, पर्यटक सूचना केन्द्र, नदी तट एवं अधोसंरचना विकास कार्यों का लोकार्पण किया।
मुख्यमंत्री ने इस दौरान हितग्राहीमूलक सामग्रियों का वितरण भी किया। साथ ही विभागीय स्टाल का अवलोकन किया। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि भगवान श्रीराम के आशीर्वाद से छत्तीसगढ़ में तेजी से बदलाव हो रहा है। भगवान श्रीराम हमारी प्रेरणा रहे हैं। उनके आदर्शों पर चलने के लिए उनकी स्मृतियों को सहेजने के लिए हम श्रीराम वनगमन पर्यटन परिपथ का विकास कर रहे हैं। हमने चंदखुरी में माता कौशल्या मंदिर के परिसर का विकास किया है। यह दुनिया में एकमात्र माता कौशल्या का मंदिर है। शिवरीनारायण, राजिम, रामगढ़, सिहावा में हम भगवान श्रीराम से जुड़े पुण्यस्थलों का लोकार्पण कर चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम लोग लगातार छत्तीसगढ़ी संस्कृति को सहेजने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव के माध्यम से आदिवासी संस्कृति को राष्ट्रीय फलक में दिखाने का प्रयास किया। राष्ट्रीय रामायण महोत्सव के माध्यम से श्रीराम से जुड़े आदर्शों की प्रस्तुति हुई। हमारी बोली भाषा को सहेजने का कार्य हुआ। बोरे बासी जैसी हमारी खाद्य परंपरा फिर से स्थापित हुई। अब तो अफसर भी चाव से बोरे बासी खाते हैं और सोशल मीडिया में इसके पोस्ट करते हैं।
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December 12, 2024