पिछले हफ्ते एक भयानक अनुभव हुआ। जंगल में भटकने का।
जंगल घूमने और नए नए पेड़ पौधे, कीट पतंगे देखने का शौक है। सो नेशनल हाइवे पर निकल गया जिसके दोनों तरफ जंगल थे। यह कहना ज्यादा ठीक होगा कि हाइवे जंगल के बीच से गुजरता है।
बीच में दीमक की बांबी दिखी। छह सात फीट ऊंची। मुझे लगा इसकी तस्वीर ले लेनी चाहिए। यह सड़क से बीस तीस मीटर भीतर होगी। मैंने पास जाकर उसकी तस्वीर ली। तभी कुछ दूर पर एक और बांबी दिखी जो एक पेड़ के चारो तरफ बनी थी।
उसके पास जाकर उसकी भी तस्वीर ली।
फिर एक और बांबी दिख गई। उसके पास चला गया। सोचा अब लौटना चाहिए।
रोड से पचास मीटर भीतर गया रहा होऊंगा। लौटने लगा तो दस बीस कदम के बाद लगा कि रास्ता भूल गया हूं। दिशा बदलकर कुछ कदम चला तो लगा कि यह रास्ता भी ठीक नहीं। मैं घबरा गया। अब वो बांबियां भी नजर से ओझल हो चुकी थीं। और जंगल घना हो गया था। बरसात के कारण पेड़ पत्तों से भरे थे। नजर कुछ दूर तक ही देख पा रही थी। पतझड़ में तो दूर तक नजर आता है।
हाइवे पर आती जाती गाडियों की आवाज आ रही थी। लेकिन कुछ भ्रम सा होने लगा कि आवाज किधर से आ रही है। और यह सब रोड से पचास मीटर दूर हो रहा था।
मैं बहुत घबरा गया। दिमाग में तरह तरह की बातें आने लगीं। किसे फोन करूंगा। लोकेशन क्या बताऊंगा। लोग कैसे खोजेंगे?
दोपहर के तीन साढ़े तीन बज रहे थे। मुझे लगा कि थोड़ी देर बाद शाम होने लगेगी। अंधेरा हो जाएगा। अगर गलत दिशा में चलता रहा तो बुरी तरह फंस जाऊंगा। दिल की धड़कनें तेज हो गईं। पसीना आने लगा।
भाग्य ही था कि कुछ देर बाद सड़क से जाती गाड़ी नजर आई। मेरी जान में जान आई।
सड़क तक पहुंचा। देखा तो मेरी बाइक सौ डेढ़ सौ मीटर दूर खड़ी थी। यानी गलत दिशा में मैं इतनी दूर निकल आया था।
बाहर आकर मैंने कान पकड़े कि अकेले जंगल में नहीं जाऊंगा। किसी अनुभवी स्थानीय व्यक्ति के साथ ही जाऊंगा। जिसके साथ भटकने का डर न हो। और जिसे जंगल के दूसरे खतरों के बारे में भी मालूम हो।
मैं घूमने फिरने के शौकीन लोगों से कहना चाहूंगा कि अनजान जगहों पर घूमते वक्त ज्यादा उत्साहित न हों। क्योंकि ऐसी जगहों पर खुशियों के साथ खतरे भी हो सकते हैं। बेहतर हो जहां जाएं, समूह में जाएं। लोगों की पहुंच में रहें। पानी से दूर ही रहें। जंगल में कोई साइनबोर्ड नहीं होते। पहाड़ पर चढ़ना कठिन है तो उतरना और भी कठिन।
जब तक खुद पर नहीं गुजरती, लोग सीखते नहीं। लेकिन दूसरों की गलतियों से सबक ले लेना समझदारी है।