पुरातत्व
दुर्ग जिले के पाटन से आठ किलोमीटर दूर तरीघाट यूं तो एक मामूली सा गांव है लेकिन इसकी कुछ खूबियां इसे खास बना देती हैं। यहां से होकर खारुन नदी बहती है। इसके किनारे ढाई हजार साल पुरानी सभ्यता के अवशेष मिले हैं। अनुमान है कि किसी जमाने में यह एक बड़ा व्यापारिक केंद्र रहा होगा। यहां प्राचीन भवनों के अवशेष मिले हैं। दूसरी चीजें भी मिली हैं। माना जा रहा है कि ये अवशेष एक बड़े इलाके में फैले हुए हैं। यहां खारुन तट पर कुछ टीले हैं। इस इलाके में पहले पहल कुछ सिक्के और दूसरे पुराने अवशेष मिले। इसकी जानकारी पुरातत्व विभाग को हुई तो जानकार लोग यहां पहुंचे। एक बड़े टीले की खुदाई शुरू हुई तो कुषाण युग के सोने के सिक्के, सातवाहन युग के सिक्के, कुषाण और गुप्तकाल की सील, गहने, हड्डी के बने तीरनुमा औजार, चौसर के पासे, हाथी दांत के कंघे गणेश और पार्वती की प्रतिमाएं मिलीं। इन्हें करीब ढाई हजार साल पहले का बताया गया है। जनप्रतिनिधियों का कहना है कि इस स्थान को विश्व धरोहरों की सूची में शामिल करने के प्रयास किए जाएंगे।
अध्यात्म
यहां पर एक मंदिर है जिसमें मां महामाया, महालक्ष्मी, महासरस्वती की प्रतिमाएं एक ही जगह पर स्थापित हैं। मंदिर को राजा जगतपाल ने बनवाया था। अनुमान है कि यह करीब चार हजार साल पहले बनवाया गया। यह काले पत्थरों से बना है जिसकी जोड़ाई गुड़ और चूने से की गई है। आज इस पर टाइल्स लगा दी गई है जिसके कारण पता नहीं चलता कि यह काले पत्थर का बना है। मंदिर के भीतर प्रवेश करने पर इसकी छत जरूर काले पत्थर की नजर आती है। मंदिर परिसर में और भी देवी देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं। नवरात्र पर यहां दर्शनार्थियों का मेला लगता है।
पर्यटन
यह एक सुंदर और शांत जगह है। ढेर सारे पेड़ हैं। नदी है। एनीकट है। जलपक्षी हैं। यहां परिवार के साथ पिकनिक पर आया जा सकता है। इसे एक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकता है। इससे लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
Related Stories
October 3, 2024
September 17, 2024