पुस्तक: अस्तित्व कहां है नारी तेरा
कवि: डा. रवींद्र नाथ मिश्र
डा. रवींद्रनाथ मिश्र लंबे समय से शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। उनका संवेदनशील मन शिक्षा ही नहीं समाज के अन्य क्षेत्रों के बारे में गंभीरता से सोचता है। अपनी इस सोच को उन्होंने कलम के जरिए कागज पर उतारा है। नतीजा है यह काव्य संग्रह।
इसमें कवित मौजूदा दौर की विसंगतियों को रेखांकित करता है। क्या बेहतर हो सकता है, इसके सुझाव देता है। कम से कम अपना दुख और विरोध तो प्रकट कर ही देता है। और पाठक को सोचने का अवसर देता है। उम्मीद है यह पुस्तक पाठकों को पसंद आएगी। और वे कहेंगे- यह तो हमारी ही दुनिया की बातें हैं। और हम भी यही तो कहना चाहते थे।
पुस्तक में कवि ने सार्वजनिक और निजी जीवन के विविध विषयों अपना मंथन और उसका निष्कर्ष प्रस्तुत किया है। कवि की पैनी नजर हर छोटी बड़ी बात पर जाती है। मसलन- गांधी की पुण्य तिथि पर उन्हें याद नहीं किया जाता तो व्यथित कवि पूछता है-
गांधी सबके हैं।
गांधी का है कोई?
काम करने वाले योग्य लोगों पर जब काम न करने वाले अयोग्य लोग शासन करते हैं तब कवि कहता है-
जिनको वर्णमाला का पता नहीं
वो ही मठाधीश बने
दुख से निराश होने की बजाय उसे जगतहितकारी बनाने की सीख भी कवि देता है। उनकी कविता आहत भाव श्रृंगार बनेगा की पंक्तियां हैं-
आहत भाव बनाकर हाला
सजा लो कंठ में
नीलकंठ बन जाओ
दर्द को दवा बना दो
दुनिया का दर्द मिटे
तभी पूजित होगे
अनन्त काल तक
होगा भावों का सम्मान
आहत भाव बनेगा श्रृंगार
शिक्षा से जुड़े होने के कारण कवि की दृष्टि बार बार शिक्षा जगत में फैली विसंगतियों पर जाती है। शिक्षार्थी की रुचि और आवश्यकता के अनुरूप शिक्षा देने की वकालत करते हुए कवि कहता है-
शिक्षा दो भक्त को
आवश्यकता अनुरूप
समाज कल्याण का पर्याय है पर
शिक्षा दो, लादो मत
नमस्ते की जगह हाय हलो का युग आ गया है। जीवन मूल्य बदल रहे हैं। इससे व्यथित कवि कहता है-
संभालो रोको डूबते मू्ल्य की धूप
अन्यथा तार तार होंगे
मानवीय रिश्ते
कहोगे बार बार
बिखरा ताना बाना क्यों?
जनतंत्र की स्थिति देख कवि शर्मिंदा होकर कहता है
जनतंत्र है
मालिक जनता है पर
फैसला जनता नहीं
नेता करे
शर्मिंदा हूं, कैसे कहूं
अयोध्या और आसपास के लोग अयोध्या के विवाद को किस नजरिए से देखते हैं, यह कवि की एक कविता में स्पष्ट होता है। कवि कहता है-
आप कौन?
राम के नाम पर
अयोध्या पर बंद करो राजनीति
मेरा घर है अयोध्या, अखाड़ा नहीं है.
- महानदी न्यूज डेस्क