विष्णुदेव साय प्रदेश के नए मुख्यमंत्री बनाए गए हैं।
वे एक सरल और विनम्र व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं।
जशपुर जिले के कुनकुरी के बगिया गांव में 21 फरवरी 1964 में एक किसान परिवार में उनका जन्म हुआ था। पिता का नाम रामप्रसाद साय और माता का जशमनी देवी है। कुनकुरी के लोयोला स्कूल से उन्होंने हायर सेकंडरी की पढ़ाई की। 1991 में कौशल्या देवी से उनका विवाह हुआ।
विष्णुदेव साय एक राजनीतिक परिवार से आते हैं। उनके दादा स्व बुधनाथ साय 1947 से 1952 तक मनोनीत विधायक रहे। विष्णुदेव के पिता के बड़े भाई स्व. नरहरि प्रसाद 1962-97 और 1972-77 तक दो बार विधायक रहे। 1977-79 तक वे सांसद भी रहे। जनता पार्टी की सरकार में वे राज्यमंत्री भी बने।
बगिया गांव से उनका राजनीतिक सफर प्रारंभ हुआ। यहां वे सरपंच के पद पर निर्विरोध चुने गए।
1990-91 में वे मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्य चुने गए। मप्र में वे दो बार विधायक रहे। 1999 में वे लोकसभा के लिए चुन लिए गए। 2004 में वे दोबारा सांसद बने। 2009 और 2014 में भी वे लोकसभा के लिए चुने गए। सभी कार्यकाल में वे विभिन्न संसदीय समितियों के सदस्य रहे। चौथे कार्यकाल में 9 नवंबर 2014 को वे इस्पात और खनिज विभाग के राज्यमंत्री बनाए गए। 5 जुलाई 2016 को वे इस्पात मंत्रालय के राज्यमंत्री बने।
3 दिसंबर 2023 को वे छत्तीसगढ़ विधानसभा के सदस्य बने। कुनकुरी सीट पर कांग्रेस के यूडी मिंज को उन्होंने 25541 वोटों से हराया। उन्हें 87604 वोट मिले।
10 दिसंबर को मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी उनके कंधों पर डाली गई।
2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की बुरी हाल हुई थी। इसके बाद पार्टी ने अपने किसी सांसद को टिकट न देने का फैसला किया था। इसलिए 2019 में उन्हें लोकसभा चुनाव की टिकट नहीं दी गई। जून 2020 में उन्हें पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। अगस्त 2022 तक वे इस पद पर रहे। इससे पहले 2006 में भी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए थे।
छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की बड़ी आबादी है। विष्णुदेव साय भी आदिवासी हैं। वे संघ के प्रिय माने जाते हैं।
कुछ दिनों पहले एक साक्षात्कार में उनसे पूछा गया था कि प्रदेश अध्यक्ष पद वापस ले लेने पर क्या उन्हें दुख हुआ था? उन्होंने कहा था कि हम पार्टी को माता मानते हैं। मां अगर बेटे को चपत भी लगा दे तो क्या बेटा बुरा मान जाएगा? और फिर पार्टी ने बहुत कुछ दिया है। एक गांव का बच्चा यहां आकर इतने लोगों से बात कर रहा है यह कम है क्या? वरना कौन जानता था बगिया गांव के विष्णु को। नांगर ही जोतते रह जाता।
पार्टी के प्रति यह समर्पण और सादगी विष्णुदेव साय की पहचान है।
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December 12, 2024